Saturday, May 13, 2006

अब Outsourceing मातृत्व का

भारत अब मातृत्व के आउटसोर्शिगं का केन्द्र भी बनने जा रहा। दुनिया भर के निःसन्तान दम्पति जो कृत्रिमरुप से सन्तान चाहते है या कहें, कोख किराया पर चाहते है, उनके लिये भारत पहली पसन्द बन गई है।

इसका प्रमुख कारण हैः गरीबी और दुसरे देशो कि तुलना में कम कानूनी अर्चने।
ऐसा नही है कि हमारा समाज इस बात को सहजता से मान रहा है या मान लेगा, लेकिन अच्छी कमाई के कारण गरीब औरते बेहिचक यह काम करने को तैयार हो जाती हैं।

इसका एक उदाहरन गुजरात के आनन्द की सरोज है। गरीब सरोज तीन बच्चों की माँ है। लेकिन एक अमेरिकी दम्पति के संतान को अपने कोख में १० महिने पालने के लिये ५००० डॉलर में राजी हो गयी। ३२ साल की सरोज कहती हैः " रूपया तो एक कारण है, क्योंकि इससे मेरे परिवार की काफी जरुरतें पुरी होंगी। लेकिन एक निःसन्तान दम्पती की गोदभर कर मुझे भी खुशी मिलेगी।"

सिर्फ आनन्द में ही इस तरह की आठ और "सरोज" है। इन्डियान काउन्सिल आफ मेडिकल रिसर्च के अनुसार भविष्य में भारत मे गर्भ-दान "व्यापार" का बाजार सलाना 600 करोड़ तक का हो सकता है।

2 comments:

उन्मुक्त said...

आपने बहुत मुशकिल सवाल उठाया है| इस तरह के कुछ सवालों का जवाब ढ़ूड़ने के लिये इंगलैन्ड मे एक कमेटी बनी| जिसकी मैरी वौर्नौक अध्यक्ष (http://en.wikipedia.org/wiki/Mary_Warnock,_Baroness_Warnock)
थीं उन्होने इस तरह तथा कुछ और तरह की मुशकिलो के लिये सिफारिशें की| इस पर वहां The Human Fertilisation and Embryology Act (http://www.opsi.gov.uk/acts/acts1990/Ukpga_19900037_en_2.htm#mdiv3) बना| अपने देश मे भी कुछ होना चाहिये|

Udan Tashtari said...

एक डाक्यूमेंटरी देखी इस विषय पर गुजरात के मद्देनज़र. बहुत गहन विचारधारा के साथ बनाई गई. पसंद आई मुझे.

समीर लाल