tag:blogger.com,1999:blog-27133913.post114706985791526621..comments2023-10-26T08:10:43.383-07:00Comments on दिल की बात ... दिल से . .(Hindi Blog): रवीन्द्रनाथ जी का नारी के प्रति दृष्टिकोण . . [भाग २]Pankajhttp://www.blogger.com/profile/15919465910962263116noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-27133913.post-1147110332915497402006-05-08T10:45:00.000-07:002006-05-08T10:45:00.000-07:00वहीं मुझे लगता है कि जो कोई भी श्रेष्ठ हुआ है, उसक...वहीं मुझे लगता है कि जो कोई भी श्रेष्ठ हुआ है, उसकी समालोचना करना आम आदमी अपना जन्मसिद्ध अधिकार ही समझता है। कोई श्रेष्ठ पुरुष देवता नहीं होता मगर हम उसकी श्रेष्ठता में भी बुराई ढूँढते हैं। आनन्दबाज़ार पत्रिका को अपने रविवासरीय में अचानक इन चीज़ों को छापने की क्या ज़रूरत आ पड़ी, क्या पता। खै़र, रवीन्द्रनाथ की समालोचना करने की मुझमें बिल्कुल भी योग्यता नहीं है। उनका टैलेंट अतुलनीय है, शायद भगवान प्रदत्त, इसमें क्या शक है।Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी https://www.blogger.com/profile/13192804315253355418noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-27133913.post-1147101347985491302006-05-08T08:15:00.000-07:002006-05-08T08:15:00.000-07:00हम लोगो में अक्सर एक आदत पाई जाती है जिसे हम महात्...हम लोगो में अक्सर एक आदत पाई जाती है जिसे हम महात्मा, संत या महान मान लेते हैं उनके बारे में कोई भी बुरी बात या उनकी गलतियों के बारे में सुन नही पाते या सहन नहीं कर पाते, गोया वे महान पुरुष सीधे स्वर्ग से ही अवतरित हुए हों।Sagar Chand Naharhttps://www.blogger.com/profile/13049124481931256980noreply@blogger.com